सक्ती/जैजैपुर/अवधेश टंडन। जिले के ग्राम पंचायत भातमाहुल के चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर शिव मंदिर के परिसर में ठाकुर देव व मां दुर्गा की तस्वीर रखकर नौ दिनों तक दीप प्रज्वलित (जोत जला ) कर आज चैत्र नवरात्रि के नौवे और अंतिम दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना किया गया वही मां सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धि और मनोकामनाओं को पुर्ण करने वाली देवी माना जाता है इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने वाले भक्तों को यस बल और धन की प्राप्ति होती है वहीं आज चैत्र नवरात्रि की अंतिम दिन में नवनिर्वाचित सरपंच कमला गोपाल उरांव ने मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना कर गांव के लिए सुख समृद्धि की मनोकामना करते हुए नौ कन्या भजन और खीर पड़ी प्रसाद के रूप में पूरे गांव में वितरण किया गया
वहीं गांव के सुरेश चंद्रा, धनंजय यादव सोनू नायक ,जय जायसवाल ,शोभित चंद्रा, देवनारायण चंद्रा, धर्मेंद्र चंद्रा, हरनारायण जायसवाल, केशव चंद्रा, मुरारी चंद्रा ,ओशाराम जटवार, कौशल चंद्रा ,रथ राम वीरेन्द्र, कुमार चंद्रा
आदि लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
शिव नगरी भातमाहुल के शिव मंदिर में क्यूं है लोगों के मन में आस्था
सक्ति जिले के जैजैपुर ब्लॉक के अंतिम छोर ग्राम पंचायत भातमाहुल में स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर जो पुरातन काल के लगभग सन 1984 -1985 में भगवान शिव जी का उत्थान हुआ था जो अपने आप में प्रसिद्ध शिव मंदिर है वहीं पूर्वजों और ग्रामीणों का कहना है कि सन 1984 में गांव के कुछ छोटे छोटे बच्चे खेल कूद रहे थे तभी खेलते खेलते सोनी सिदार का पैसा जमीन में पड़े दरार में घुस गया और उस पैसा को निकले के लिए सोनी सिदार और उसके साथी जमीन में पड़े दरार के पास गए और अपने हाथ से पैसे को निकले लगे तभी सोनी सिदार और उसके साथी दरार पड़े जमीन के अंदर भगवान शिव जी का नदीबैला का सिंग अदभुत दृश्य दिखाने लगे जिससे देखकर लोग भयभीत हो गए इस अदभुत दृश्य को देखने के बाद लोगों में हड़कंप मच गया कुछ दिन बाद देखते ही देखते जमीन को फड़ कर भगवान शिव जी जमीन से ऊपर निकल गया जिससे देखने के लिए लोग का हुजूम बड़ते गया और लोगों का आस्था बढ़ने लगा वही अब हर साल पूस महीने के धनतेरस के दिन हर साल भातमाहुल के प्रसिद्ध शिव मंदिर में एक सप्ताह के लिए कपाट खुलता है उस दिन भगवान शिव जी का सच्ची आराधना के साथ सच्ची मन से लोग पूजा अर्चना करते है और शिव के भक्त अपने सिद्धि प्राप्त करते है इसलिए भातमाहुल को शिव नगरी के नाम से जाना जाता है