सक्ती@hemant-jaiswal :- सक्ति जिले में मौजूद है मां चंद्रहासिनी और मां नाथलदाई का मंदिर. ऐसी मान्यता है कि भक्त यहां जो भी मुरादे मांगते हैं वो पूरी जरूर होती है.सक्ती जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर और रायगढ़ से 30 किलोमीटर दूर चित्रोत्पला गंगा महानदी के तट पर बसे चंद्रपुर पहाड़ी पर विराजमान हैं मां चंद्रहासिनी और नदी के बीच मौजूद हैं मां नाथलदाई. नवरात्रि के मौके पर मां चंद्रहासिनी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.छतीसगढ़ के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक सक्ती जिले के चन्द्रपुर की छोटी सी पहाड़ी के ऊपर विराजिती है मां चंद्रहासिनी. साथ ही यहां बने पौराणिक व धार्मिक कथाओं की सुंदर झाकियां, लगभग 100 फीट विशालकाय महादेव पार्वती की मूर्ति, आदि मां चंद्रहासिनी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का मन मोह लेती है।

यहां गिरा मां का बायां कपोल:-मान्यता के अनुसार माता सती का बायां कपोल महानदी के पास स्थित पहाड़ी में गिरा, जो आज बाराही मां चंद्रहासिनी मंदिर के रूप में जाना जाता है. मां की नथनी नदी के बीच टापू में जा गिरी, जिसे आज नाथलदाई मंदिर के नाम से जाना जाता है।
मां चंद्रहासिनी मंदिर का इतिहास :- चंद्रमा के आकार की विशेषताओं के कारण उन्हें चंद्रहासिनी और चंद्रसेनी मां के नाम से जाना जाता है. बताया जाता है कि चंद्रसेनी देवी ने सरगुजा को छोड़ दिया और उदयपुर और रायगढ़ होते हुए महानदी के किनारे चंद्रपुर की यात्रा की. महानदी की पवित्र शीतल धारा से प्रभावित होकर माता रानी विश्राम करने लगीं. इसके बाद उन्हें नींद आ गई. वर्षों व्यतीत हो जाने पर भी उनकी नींद नहीं खुली. एक बार संबलपुर के राजा की सवारी यहां से गुजरी. चंद्रसेनी देवी पर गलती से उनके पैर लग जाने से चोट लग गई, जिससे वे जाग गए. फिर एक दिन देवी ने उन्हें एक सपने में दर्शन दिए और उन्हें एक मंदिर बनाने और वहां एक मूर्ति स्थापित करने के लिए कहा. हर साल चैत्र नवरात्रि के अवसर पर सिद्ध शक्तिपीठ मां चंद्रहासिनी देवी मंदिर चंद्रपुर में महाआरती के साथ 108 दीपों की पूजा की जाती है।
लगती है भक्तों की भीड़ :- हर साल चैत, नवरात्र के वक्त यहां मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलित करने के साथ ही मां चंद्रहासिनी मंदिर से कलश यात्रा निकाली जाती है. इस दौरान श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है. मां चंद्रहासिनी के दर्शन के लिए दूसरे राज्यों के साथ-साथ विदेश से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

बच्चे की बचाई थी जिंदगी :- कहा जाता है कि मां चंद्रहासिनी और उनकी छोटी बहन नाथलदाई के दर्शन मात्र से ही भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है. मां चंद्रहासिनी और नाथलदाई की एक पौराणिक कथा भी है जिसमें एक निर्दयी पुलिसवाला अपने छोटे बच्चे को पुल के ऊपर से नदी में फेंक देता है जिसे मां चंद्रहासनी और नाथलदाई अपने आंचल में रख लेती हैं और मासूम की जान बच जाती है. घटना के बाद से भक्तों की मां के ऊपर श्रद्धा और बढ़ गई।
भक्तों की पूरी होती है मनोकामना :- ऐसी मान्यता है कि मां चंद्रहासिनी संतानदायिनी हैं और मां अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती है. वैसे तो मां चंद्रहासिनी के दर्शन के लिए श्रद्धालु छत्तीसगढ़ के साथ-साथ ओडिशा से भी बड़ी संख्या में आते हैं।